Palash
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कविता गढ़ने की प्रकिया तब आरम्भ होती है, जब किसी कवि के मन में कोई एक ऐसी बात, कोई स्थिति या परिस्थिति, कोई व्यथा मन में गोते मार रही हो, जब किसी कवि का मन विचारों से भर उठता है और पन्ने पर उन कल्पनाओं को लफ्जों में उतारने के लिए उसका मन और हाथ दोनों ही व्याकुल हो रहे हों, तो उसे किसी खू़बसूरत सी कविता की रचना करने से कोई रोक नहीं सकता।
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