Dastaan-e-Lucknow
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ये शहर नहीं जनाब नवाबों की रियासत है
यहाँ ‘मै’ नहीं ‘हम’ की रिवायत है
कहीं गूँज है अज़ान की
तो कही रूमी की अयादत है
कहीं भूल भुलैया से गुम हैं लोग
ये शहर नहीं हिंदुस्तान की विरासत है
मुमकिन है आप भी इसके इश्क़ में खो जाएँ
जिसकी जुबान में उर्दू की मिठास
और अदा में अवधी नज़ाकत है।
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